वाग्देवी का आशीष भांति भांति के लोग यहां, भांति भांति के विचार, सोच, समझ कीजिए भरोसा, परखिए मिश्री, फिटकरी का व्यवहार, मान सबको प्यारा लगे, मार्गदर्शन करे अपमान, मूर्ख धनानंद की धृष्टता, मौर्य का हुआ उत्थान, बदनामी से डरिये नहीं , बदगुमानी है बड़ा रोग, नित्य आगे बढ़ते रहिये, विजय रहस्य है मनोयोग, संवाद में बहुत शक्ति है, विवाद करे ऊर्जा ह्रास, समय कीजिए नहीं व्यर्थ, कीजिए नहीं कभी उपहास, भय में याद आते भगवान, जिनकी इच्छा हम बने इंसान, व्यर्थ रहा कृष्ण का भी ज्ञान, निज स्वार्थ में पतित सर्वोपरि संतान, निंदा में आनंद बहुत है, बुद्धि करता यह भ्रष्ट है, विवेकवान दूरी बनाते हैं, वाग्देवी का आशीष पाते हैं,